Mangala Gowri Brat Katha / मंगला गौरी का ब्रत

Mangala Gowri Brat Katha / मंगला गौरी का ब्रत

श्रावण का सब मंगलवार न मंगला गौरी का व्रत कर। ई दिन मंगलागौरी की पूजा कर सिर नहा क पूजा करन बैठ। पहले एक पाटा पर आधी दूर म सफेद और आधी दूर म लाल कपड़ो बिछाव। पाट पर थोड़ा सा चावले रख, एक सुपारी पर मोली लपेट कर गणेशजी बना कर रक्ख। सफेद कपड़ा पर चावल की नौ कुडडी कर क नौग्रह बनाव। पाटा क निच थोड़ा सा गेहूँ पर कलश रक्ख। एक आटा को चौमुखो दीयो, नाल की सोलह-सोलह तार की चार बाती लगा कर चास। सोलह

धूप बत्ती चास। अब सबसे पहले गणेश जी की जल, पंचामृत, मोली, जनेऊ, चन्दन, रोली, सिन्दूर, चावल, फूल, दूर्बा, बिलपत्र, प्रसाद, फल पंचमेवो, पान सुपारी, लौंग, इलायची, अबीर, गुलाल स पूजा कर और दक्षिण चढ़ाव। पिछ कलश की पूजा कर। पूजा क जद कलश म जल, एक सुपारी, पंचरत्न, छाड़ छड़लो, थोडी सी माटी और दक्षिणा घाल। पांच आम का पत्ता लगाव। एक सिकोरा म थोड़ा सा चावल डालकर कलश पर रक्ख। बिक ऊपर नाको सुदां डाभ, लाल कपड़ा स बांध कर रक्ख। पिछ गणेश जी क जैसा ही कलश की और नौग्रह की पूजा कर सिन्दूर और बिलपत्र कोनी चढ़ाव। बाद म घोडशमातृका की भी बिना जनेऊ क सब सामग्री और हल्दी, मैहन्दी और सिंदूर स पूजा कर। पिछ थाड़ी सी मोली गणेशजी क चढ़ाव । या चढ़ायेड़ी मोली सब देवी- देवता क चढ़ाव। पंडित क टीका काढ़ कर मौली बान्ध। अब  मंगलागौरी की पूजा कर। एक पाटा पर माटी को खोमचो रख कर बीच में एक चकलो रथ रक्ख। चकला क बगल मे आटा को सिल-लोडो बना कर रक्ख और चकला पर गंगाजी की माटी की मंगलागौरी बना कर रक्ख । सबसे पहले मंगलागौरी न जल,दूध, दही, घी, शहद, चीनी और पंचामृत स नहलाव। पिछ कपड़ा, नथ पहनाव। रोली, चन्दन, सिन्दूर, हल्दी, चावल, मैहन्दी, काजल लगाव। सोलह रकम का सोलह-सोलह फूल, सोलह रकम का सोलह - सोलह पत्ता, सोलह माला , सोलह आटा का लडु सोलह फल, पाँच रकम को सोलह-सोलह मेवो, सोलह रकम को सोलह - सोलह अनाज, सोलह जीरो, सोलह धनियो, सोलह पान, सोलह सुपारी, सोलह लौंग, सोलह इलायची चढ़ाव और एक सुहाग पिटारी चढ़ाव। ऊ म एक कब्जो, रोली, मैहन्दी, काजल, हिगलू, सिन्दूर, कंघो, दर्पण, नाल, तेरह चूड़ी, मैण,रुपिया और आपकी इच्छा होव सो घाल । दक्षिण चढ़ाव। पिछ कथा सुन। कथा सुनन के बाद आटा का सोलह दीया बना कर ऊना म सोलह तार की सोलह बाती घाल कर कपूर क साथ आरती कर, परिक्रमा देव। पिछ सोलह आटा क लडड पर बाणो निकाल कर सासुजी नै लडु पगा लाग कर दे देव। बाद म अनाज म सिरफ गेहूँ स बनायेड़ो, बिंना नमक को भोजन कर। दूसर दिन सबेर मंगलागौरी को विसर्जन करने के बाद जीम।

श्रावण का सब मंगलवार न मंगला गौरी का व्रत कर। ई दिन मंगलागौरी की पूजा कर सिर नहा क पूजा करन बैठ। पहले एक पाटा पर आधी दूर म सफेद और आधी दूर म लाल कपड़ो बिछाव। पाट पर थोड़ा सा चावले रख, एक सुपारी पर मोली लपेट कर गणेशजी बना कर रक्ख। सफेद कपड़ा पर चावल की नौ कुडडी कर क नौग्रह बनाव। पाटा क निच थोड़ा सा गेहूँ पर कलश रक्ख। एक आटा को चौमुखो दीयो, नाल की सोलह-सोलह तार की चार बाती लगा कर चास। सोलह

धूप बत्ती चास। अब सबसे पहले गणेश जी की जल, पंचामृत, मोली, जनेऊ, चन्दन, रोली, सिन्दूर, चावल, फूल, दूर्बा, बिलपत्र, प्रसाद, फल पंचमेवो, पान सुपारी, लौंग, इलायची, अबीर, गुलाल स पूजा कर और दक्षिण चढ़ाव। पिछ कलश की पूजा कर। पूजा क जद कलश म जल, एक सुपारी, पंचरत्न, छाड़ छड़लो, थोडी सी माटी और दक्षिणा घाल। पांच आम का पत्ता लगाव। एक सिकोरा म थोड़ा सा चावल डालकर कलश पर रक्ख। बिक ऊपर नाको सुदां डाभ, लाल कपड़ा स बांध कर रक्ख। पिछ गणेश जी क जैसा ही कलश की और नौग्रह की पूजा कर सिन्दूर और बिलपत्र कोनी चढ़ाव। बाद म घोडशमातृका की भी बिना जनेऊ क सब सामग्री और हल्दी, मैहन्दी और सिंदूर स पूजा कर। पिछ थाड़ी सी मोली

गणेशजी क चढ़ाव । या चढ़ायेड़ी मोली सब देवी- देवता क चढ़ाव। पंडित क टीका काढ़ कर मौली बान्ध। अब  मंगलागौरी की पूजा कर। एक पाटा पर माटी को खोमचो रख कर बीच में एक चकलो रथ रक्ख। चकला क बगल मे आटा को सिल-लोडो बना कर रक्ख और चकला पर गंगाजी की माटी की मंगलागौरी बना कर रक्ख । सबसे पहले मंगलागौरी न जल,दूध, दही, घी, शहद, चीनी और पंचामृत स नहलाव। पिछ कपड़ा, नथ पहनाव। रोली, चन्दन, सिन्दूर, हल्दी, चावल, मैहन्दी, काजल लगाव। सोलह रकम का सोलह-सोलह फूल, सोलह रकम का सोलह - सोलह पत्ता, सोलह माला , सोलह आटा का लडु सोलह फल, पाँच रकम को सोलह-सोलह मेवो, सोलह रकम को सोलह - सोलह अनाज, सोलह जीरो, सोलह धनियो, सोलह पान, सोलह सुपारी, सोलह लौंग, सोलह इलायची चढ़ाव और एक सुहाग पिटारी चढ़ाव। ऊ म एक कब्जो, रोली, मैहन्दी, काजल, हिगलू, सिन्दूर, कंघो, दर्पण, नाल, तेरह चूड़ी, मैण,रुपिया और आपकी इच्छा होव सो घाल । दक्षिण चढ़ाव। पिछ कथा सुन। कथा सुनन के बाद आटा का सोलह दीया बना कर ऊना म सोलह तार की सोलह बाती घाल कर कपूर क साथ आरती कर, परिक्रमा देव। पिछ सोलह आटा क लडड पर बाणो निकाल कर सासुजी नै लडु पगा लाग कर दे देव। बाद म अनाज म सिरफ गेहूँ स बनायेड़ो, बिंना नमक को भोजन कर। दूसर दिन सबेर मंगलागौरी को विसर्जन करने के बाद जीम।

 

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