
शीतला अष्टमी का विशेष महत्व होता है। शीतला अष्टमी व्रत हर साल होली के आठवें दिन मनाई जाती है।
कृष्ण पक्ष की इस शीतला अष्टमी को बसौड़ा या शीतलाष्टमी कहा जाता है। शीतला माता को अष्टमी के दिन बासी भोजन का भोग लगाया जाता है।
इसके बाद इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन बासी भोजन करने से शीतला माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सभी कष्टों को दूर करती हैं माता-
शीतला अष्टमी के बाद से ही ग्रीष्मकाल का आरंभ हो जाता है। इसलिए शीतला माता के स्वरूप को शीतलता प्रदान करने वाला माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन शीतला माता की विधि-विधान से पूजा करने वालों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही अरोग्यता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शीतला माता के आशीर्वाद से चेचक, खसरा व नेत्र विकार ठीक होने की मान्यता है।
शीतला अष्टमी की पूजा विधि-
-सबसे पहले शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा लें।
-पूजा की थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा, सप्तमी को बने मीठे चावल, नमक पारे और मठरी रखें।
-दूसरी थाली में आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, मोली, होली वाली बड़कुले की माला, सिक्के और मेहंदी रखें।
-दोनों थालियों के साथ में ठंडे पानी का लोटा भी रख दें।
-अब शीतला माता की पूजा करें।
-माता को सभी चीज़े चढ़ाने के बाद खुद और घर से सभी सदस्यों को हल्दी का टीका लगाएं।
-मंदिर में पहले माता को जल चढ़ाकर रोली और हल्दी का टीका करें।
-माता को मेहंदी, मोली और वस्त्र अर्पित करें।
-आटे के दीपक को बिना जलाए माता को अर्पित करें।
-अंत में वापस जल चढ़ाएं और थोड़ा जल बचाकर उसे घर के सभी सदस्यों को आंखों पर लगाने को दें। बाकी बचा हुआ जल घर के हर हिस्से में छिड़क दें।
-इसके बाद होलिका दहन वाली जगह पर भी जाकर पूजा करें। वहां थोड़ा जल और पूजन सामग्री चढ़ाएं।
-घर आने के बाद पानी रखने की जगह पर पूजा करें।
-अगर पूजन सामग्री बच जाए तो गाय या ब्राह्मण को दे दें।
Sheetla Ashtami is celebrated during the spring season in the month of March or the beginning of April, right after seven days of Holi.
Sheetla Mata is commonly called the goddess of small pox. Sheetla Devi Temple is situated at Gurgaon village, a suburb of Gurgaon, in the state of Haryana.
Sweets made of wheat flour and jaggery (Gulgulle, Atte Ka Halwa and meethi pooris etc. ) are offered to the goddess and are consumed as parsad/prashad. This festival is known as Basede .Parsad is made the previous day (i.e. Monday) and is offered cold on Tuesday. It is also a seasonal festival and most of the people start taking bath with cold water from this day instead of hot water. Big Fairs are held in the Shitala/Shitla Temples and Langar (Community food) is prepared and distributed among the worshippers.
In Skanda Purana, Sheetla Mata’s Stotra has been called Sheetlashtak. It is believed that Sheetlashtak was written by Lord Shiva. Sheetla Mata is worshipped as an important Hindu Goddess. The magnificence of Goddess Sheetla has been explained in numerous religious scriptures. Goddess Sheetla has been talked about in Skanda Purana in detail. Sheetla Mata is usually associated with chickenpox. She can be seen holding a pot, soup, broom ad neem leaves. She rides a donkey.