Ahoi Ashtami

हिंदी पंचांग के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤· कारà¥à¤¤à¤¿à¤• मास में कृषà¥à¤£ पकà¥à¤· की अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ को अहोई अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ का वà¥à¤°à¤¤ किया जाता है। यह दिन महिलाओं के लिठबहà¥à¤¤ ही महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ होता है। इस दिन माताà¤à¤‚ अपनी संतान की लंबी आयà¥, खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² जीवन, अचà¥à¤›à¥‡ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ और उजà¥à¤œà¤µà¤² à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की कामना के लिठवà¥à¤°à¤¤ करती हैं। इस दिन को अहोई आठें à¤à¥€ कहा जाता है। यह वà¥à¤°à¤¤ करवा चौथ के चार दिन बाद और दिवाली के आठदिन पहले पड़ता है। इस दिन माता अहोई, à¤à¤—वान शंकर और माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ की विधि-विधान से पूजा की जाती है। वैसे तो जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° वà¥à¤°à¤¤ में सूरà¥à¤¯ या चंदà¥à¤°à¤®à¤¾ को अरà¥à¤˜à¥à¤¯ दिया जाता है लेकिन अहोई अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ पर तारों की अरà¥à¤˜à¥à¤¯ देकर वà¥à¤°à¤¤ का पारण किया जाता है।
अहोई अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ का महतà¥à¤µ-
यह वà¥à¤°à¤¤ संतान की रकà¥à¤·à¤¾ हेतॠकिया जाता है। इस दिन माताà¤à¤‚ अपनी संतान के कà¥à¤¶à¤²-मंगल जीवन के लिठनिरà¥à¤œà¤²à¤¾ उपवास करती हैं। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि इस दिन उपवास व पूजन करने से माता अहोई पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होती है और संतान को लंबी आयॠका वरदान देती हैं। इस वà¥à¤°à¤¤ में सेई का पूजन à¤à¥€ किया जाता है। कà¥à¤› महिलाà¤à¤‚ संतान पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ की कामना के साथ à¤à¥€ ये वà¥à¤°à¤¤ करती हैं।
अहोई अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ पूजा विधि :
अहोई अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ वà¥à¤°à¤¤ नियम-
इस वà¥à¤°à¤¤ में किसी à¤à¥€ तरह से धारदार चीजों का उपयोग करना मना होता है जैसे वà¥à¤°à¤¤ रखने वाली महिला चाकू से सबà¥à¤œà¥€ आदि à¤à¥€ नहीं काट सकती हैं।
अहोई के दिन बनाई गई चांदी के मोती की माला को महिलाà¤à¤‚ दीपावली तक अपने गले में पहनती हैं।
दिवाली का पूजन करने के बाद अगले दिन इस माला को उतार कर संà¤à¤¾à¤² कर रख देना चाहिà¤à¥¤
इस दिन वà¥à¤°à¤¤ पारण करते समय या दिन में, कोई सफेद चीज जैसे चावल, दूध, दही आदि का सेवन करना वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ माना जाता है।
पूजन के बाद किसी बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— महिला को वसà¥à¤¤à¥à¤° आदि à¤à¥‡à¤‚ट करके आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ लेना चाहिà¤à¥¤
Ahoi Ashtami :
Ahoi Ashtami or Ahoi athen as known in common tongue festival is specifically meant for mothers who have sons. The baniya-marwari (traders) community in Rajasthan has held on to this tradition quite religiously over centuries. In the age of ‘readymade’ items though quite a few Marwari households which buy a ready-made Ahoi Mata calendar, there are still those who retain the age-old tradition of making the Mother’s sketch with the help of geru - red powder diluted with water to make a paste. Her picture is either hung (if it is a calendar) or made on the wall