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चैतà¥à¤° (Chaitra)
बारह महीनों की वà¥à¤°à¤¤ कथाà¤à¤
Deepawali Puja Vidhi
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Diwali- Deepawali - दीपावली कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ मनाई जाती है
दीपावली का मतलब बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ पर अचà¥à¤›à¤¾à¤ˆ की जीत से है इस दिन à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ रामचंद जी चौदह वरà¥à¤· का बनवास काट कर तथा असà¥à¤° राज रावण का बध करके
अपनी पतà¥à¤¨à¥€ माता सीता और à¤à¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾ लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ के साथ अयोधà¥à¤¯à¤¾ लौटे थे। उनके आने की ख़à¥à¤¶à¥€ मे पूरी अयोधà¥à¤¯à¤¾ को दियो से सजाया गया था।
कृषà¥à¤£ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ धारा के लोंगो का यह मत है कि इस दिन शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ ने अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥€ राजा नरकासà¥à¤° का वध किया था और लोगो ने पà¥à¤°à¤¸à¤¨ हो कर घी के दिये जलाये थे।
यह तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° धन और समृदà¥à¤§à¤¿ की देवी लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ जी के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ में मनाया जाता है।
दीवाली शबà¥à¤¦ का मतलब हिनà¥à¤¦à¥€ में दिठकी रोशनी है।
दिवाली पर लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ पूजन की ​सामगà¥à¤°à¥€
मां लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ और à¤à¤—वान गणेश की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾, कà¥à¤®à¥à¤•म, रोली, सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€, नारियल, अकà¥à¤·à¤¤ (चावल),अशोक या आम के पतà¥à¤¤à¥‡, हलà¥à¤¦à¥€, दीप, धूप, कपूर, रूई, मिटटी के दीपक,
और पीतल का दीपक, कलावा, दही, शहद, गंगाजल, फूल, फल, गेहूं, जौ, दूरà¥à¤µà¤¾, सिंदूर, चंदन, पंचामृत, बताशे, खील, लाल वसà¥à¤¤à¥à¤°, चौकी, कमल गटà¥à¤Ÿà¥‡ की माला, कलश,
शंख, थाली, चांदी का सिकà¥à¤•ा, बैठने के लिठआसन, और पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦à¥¤
लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ पूजन की तैयारी
सबसे पहले जानते हैं लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ पूजन की तैयारी कैसे करें -
जैसा कि सब जानते हैं कि मां लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤šà¥à¤› सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर विराजती हैं, इसलिठसबसे पहले पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ काल घर कि अचà¥à¤›à¥‡ से साफ़ सफाई करें ।
सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¾à¤¦à¤¿ के बाद घर के मंदिर में दीपक जलाà¤à¤‚।
शाम के समय पूजा करने से पूरà¥à¤µ घर में गंगाजल छिड़क कर शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤•रण करें।
उसके बाद à¤à¤• चौकी रखें और चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाà¤à¤‚।
कपड़े के बीच में à¤à¤• मà¥à¤Ÿà¥à¤ ी गेहूं रखें और गेहूं के ऊपर जल से à¤à¤°à¤¾ हà¥à¤† à¤à¤• कलश सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करें।
अब कलश के अंदर à¤à¤• सिकà¥à¤•ा, सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€, गेंदे का फूल और अकà¥à¤·à¤¤ डालें।
कलश पर आम या अशोक के पांच पतà¥à¤¤à¥‡ à¤à¥€ लगाà¤à¤‚ । अब कलश को à¤à¤• छोटी सी थाली से ढंके जिसके ऊपर चावल रख दें।
इसके उपरांत कलश के बगल में चौकी में बचे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर हलà¥à¤¦à¥€ से चौक बनाà¤à¤‚ और उसपर मां लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ कि पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ रख दें।
इस बात का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखें कि मां लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ के दाहिने ओर गणेश जी की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ रखें.
इसके बाद à¤à¤• थाली में हलà¥à¤¦à¥€,कà¥à¤®à¤•à¥à¤® और अकà¥à¤·à¤¤ रखें और साथ ही दीप à¤à¥€ पà¥à¤°à¤œà¥à¤œà¥à¤µà¤²à¤¿à¤¤ करके रखें।
लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ पूजन विधि
पूजन की तैयारी के बाद अब आते हैं पूजन विधि पर। पूजन विधि इस पà¥à¤°à¤•ार आरंठकरें-
तैयारी के बाद सबसे पहले कलश को तिलक लगाकर पूजा आरमà¥à¤ करें।
इसके बाद अपने हाथ में फूल और चावल लेकर मां लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करें।
धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤—णेश और मां लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ पर फूल और अकà¥à¤·à¤¤ अरà¥à¤ªà¤£ करें।
अब दोनों पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤“ं को चौकी से उठाकर à¤à¤• थाली में रखें और दूध, दही, शहद, तà¥à¤²à¤¸à¥€ और गंगाजल के मिशà¥à¤°à¤£ से सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कराà¤à¤‚।
इसके बाद सà¥à¤µà¤šà¥à¤› जल से सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कराकर वापस चौकी पर विराजित कर दें ।
सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कराने के उपरांत लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€-गणेश की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ को टीका लगाà¤à¤‚। फिर लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ गणेश जी को हार पहनाà¤à¤‚।
इसके बाद लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ गणेश जी के सामने खीले-खिलौने, बताशे, मिठाइयां फल, पैसे और सोने के आà¤à¥‚षण रखें।
इसके बाद पूरा परिवार मिलकर गणेश जी और लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ माता की कथा सà¥à¤¨à¥‡à¤‚ और फिर मां लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ की आरती उतारें।
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