Holi / Holika Dahan

होलिका दहन कथा:
à¤à¤• पौराणिक कथा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, हिरणà¥à¤¯à¤•शà¥à¤¯à¤ª के पà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¹à¥à¤²à¤¾à¤¦ à¤à¤—वान के अननà¥à¤¯ à¤à¤•à¥à¤¤ थे। उनकी इस à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से पिता हिरणà¥à¤¯à¤•शà¥à¤¯à¤ª नाखà¥à¤¶ थे। इसी बात को लेकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने पà¥à¤¤à¥à¤° को à¤à¤—वान की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से हटाने के लिठकई पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किà¤, लेकिन à¤à¤•à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¹à¥à¤²à¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤à¥ की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ को नहीं छोड़ पाà¤à¥¤ अंत में हिरणà¥à¤¯à¤•शà¥à¤¯à¤ª ने अपने पà¥à¤¤à¥à¤° को मारने के लिठयोजना बनाई। अपनी बहन होलिका की गोद में पà¥à¤°à¤¹à¥à¤²à¤¾à¤¦ को बैठाकर अगà¥à¤¨à¤¿ के हवाले कर दिया। लेकिन à¤à¤—वान की à¤à¤¸à¥€ कृपा हà¥à¤ˆ कि होलिका जलकर à¤à¤¸à¥à¤® हो गई और à¤à¤•à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¹à¥à¤²à¤¾à¤¦ आग से सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ बाहर निकल आà¤, तà¤à¥€ से होली परà¥à¤µ को मनाने की पà¥à¤°à¤¥à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆà¥¤
à¤à¤• अनà¥à¤¯ कथा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, हिमालय पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ पारà¥à¤µà¤¤à¥€ चाहती थीं कि उनका विवाह à¤à¤—वान शिव से हो जाये पर शिवजी अपनी तपसà¥à¤¯à¤¾ में लीन थे। कामदेव पारà¥à¤µà¤¤à¥€ की सहायता को आये। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¥‡à¤® बाण चलाया और à¤à¤—वान शिव की तपसà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤‚ग हो गयी। शिवजी को बड़ा कà¥à¤°à¥‹à¤§ आया और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी तीसरी आंख खोल दी। उनके कà¥à¤°à¥‹à¤§ की जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ में कामदेव का शरीर à¤à¤¸à¥à¤® हो गया। फिर शिवजी ने पारà¥à¤µà¤¤à¥€ को देखा। पारà¥à¤µà¤¤à¥€ की आराधना सफल हà¥à¤ˆ और शिवजी ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी पतà¥à¤¨à¥€ के रूप में सà¥à¤µà¥€à¤•ार कर लिया। होली की आग में वासनातà¥à¤®à¤• आकरà¥à¤·à¤£ को पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•तà¥à¤®à¤• रूप से जला कर सचà¥à¤šà¥‡ पà¥à¤°à¥‡à¤® की विजय का उतà¥à¤¸à¤µ मनाया जाता है।
(इस आलेख में दी गई जानकारियां धारà¥à¤®à¤¿à¤• आसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं और लौकिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं पर आधारित हैं, जिसे मातà¥à¤° सामानà¥à¤¯ जनरà¥à¤šà¤¿ को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखकर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया गया है।)