Maha Shivratri

महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ का महतà¥à¤µ :
शिवपà¥à¤°à¤¾à¤£ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ है कि शिवजी के निषà¥à¤•ल (निराकार) सà¥à¤µà¤°à¥‚प का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• 'लिंग' इसी पावन तिथि की महानिशा में पà¥à¤°à¤•ट होकर सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ और विषà¥à¤£à¥ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पूजित हà¥à¤† था. इसी कारण यह तिथि 'शिवरातà¥à¤°à¤¿' के नाम से विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हो गई. यह दिन माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ और शिवजी के बà¥à¤¯à¤¾à¤¹ की तिथि के रूप में à¤à¥€ पूजा जाता है.
माना जाता है जो à¤à¤•à¥à¤¤ शिवरातà¥à¤°à¤¿ को दिन-रात निराहार à¤à¤µà¤‚ जितेंदà¥à¤°à¤¿à¤¯ होकर अपनी पूरà¥à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ व सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निशà¥à¤šà¤² à¤à¤¾à¤µ से शिवजी की यथोचित पूजा करता है, वह वरà¥à¤· परà¥à¤¯à¤‚त शिव-पूजन करने का संपूरà¥à¤£ फल मातà¥à¤° शिवरातà¥à¤°à¤¿ को ततà¥à¤•ाल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लेता है.
शिवरातà¥à¤°à¤¿ की पूजन विधि
महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ का यह पावन वà¥à¤°à¤¤ सà¥à¤¬à¤¹ से ही शà¥à¤°à¥‚ हो जाता है. इस दिन शिव मंदिरों में जाकर मिटà¥à¤Ÿà¥€ के बरà¥à¤¤à¤¨ में पानी à¤à¤°à¤•र, ऊपर से बेलपतà¥à¤°, आक-धतूरे के पà¥à¤·à¥à¤ª, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चà¥à¤¾à¤¯à¤¾ जाता है. अगर पास में शिवालय न हो, तो शà¥à¤¦à¥à¤§ गीली मिटà¥à¤Ÿà¥€ से ही शिवलिंग बनाकर उसे पूजने का विधान है.
इस दिन à¤à¤—वान शिव की शादी à¤à¥€ हà¥à¤ˆ थी, इसलिठरातà¥à¤°à¤¿ में शिवजी की बारात निकाली जाती है. रात में पूजन कर फलाहार किया जाता है. अगले दिन सवेरे जौ, तिल, खीर और बेलपतà¥à¤° का हवन करके वà¥à¤°à¤¤ समापà¥à¤¤ किया जाता है.
शिवजी का पà¥à¤°à¤¿à¤¯ बेल
बेल (बिलà¥à¤µ) के पतà¥à¤¤à¥‡ शिवजी को अतà¥à¤¯à¤‚त पà¥à¤°à¤¿à¤¯ हैं. शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£ में à¤à¤• शिकारी की कथा है. à¤à¤• बार उसे जंगल में देर हो गयी , तब उसने à¤à¤• बेल वृकà¥à¤· पर रात बिताने का निशà¥à¤šà¤¯ किया. जगे रहने के लिठउसने à¤à¤• तरकीब सोची- वह सारी रात à¤à¤•-à¤à¤• कर पतà¥à¤¤à¤¾ तोड़कर नीचे फेंकता जाà¤à¤—ा. कथानà¥à¤¸à¤¾à¤°, बेलवृकà¥à¤· के ठीक नीचे à¤à¤• शिवलिंग था. शिवलिंग पर पà¥à¤°à¤¿à¤¯ पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का अरà¥à¤ªà¤£ होते देख, शिव पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो उठे. जबकि शिकारी को अपने शà¥à¤ कृतà¥à¤¯ का आà¤à¤¾à¤¸ ही नहीं था. शिव ने उसे उसकी इचà¥à¤›à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤¤à¤¿ का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ दिया. यह कथा बताती है कि शिवजी कितनी आसानी से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो जाते हैं.
आज शिवरातà¥à¤°à¤¿ के अवसर पर सचà¥à¤šà¥‡ दिल से शिवजी की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ करने से सà¤à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की मनोकामना अवशà¥à¤¯ पूरी होगी.
हर साल फालà¥à¤—à¥à¤¨ मास की चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ को महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ का वà¥à¤°à¤¤ रखा जाता है. महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ मासिक शिवरातà¥à¤°à¤¿ से कहीं जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ मानी जाती है. इसे सबसे बड़ी शिवरातà¥à¤°à¤¿ माना जाता है. .
तमाम लोगों का मानना है कि इस दिन à¤à¤—वान शिव और शकà¥à¤¤à¤¿ का मिलन हà¥à¤† था. वहीं कà¥à¤› कथाओं में ये à¤à¥€ उलà¥à¤²à¥‡à¤– है कि फालà¥à¤—à¥à¤¨ मास की चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ को शिव दिवà¥à¤¯ जà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥à¤¤à¤¿à¤²à¤¿à¤‚ग के रूप में पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤ थे.