Sheetla Ashtami

शीतला अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ के बाद से ही गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤®à¤•ाल का आरंठहो जाता है। इसलिठशीतला माता के सà¥à¤µà¤°à¥‚प को शीतलता पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने वाला माना जाता है। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि इस दिन शीतला माता की विधि-विधान से पूजा करने वालों के सà¤à¥€ कषà¥à¤Ÿ दूर हो जाते हैं। साथ ही अरोगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। शीतला माता के आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ से चेचक, खसरा व नेतà¥à¤° विकार ठीक होने की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है।
शीतला अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ की पूजा विधि-
-सबसे पहले शीतला अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ के दिन सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठकर नहा लें।
-पूजा की थाली में दही, पà¥à¤†, रोटी, बाजरा, सपà¥à¤¤à¤®à¥€ को बने मीठे चावल, नमक पारे और मठरी रखें।
-दूसरी थाली में आटे से बना दीपक, रोली, वसà¥à¤¤à¥à¤°, अकà¥à¤·à¤¤, हलà¥à¤¦à¥€, मोली, होली वाली बड़कà¥à¤²à¥‡ की माला, सिकà¥à¤•े और मेहंदी रखें।
-दोनों थालियों के साथ में ठंडे पानी का लोटा à¤à¥€ रख दें।
-अब शीतला माता की पूजा करें।
-माता को सà¤à¥€ चीज़े चढ़ाने के बाद खà¥à¤¦ और घर से सà¤à¥€ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को हलà¥à¤¦à¥€ का टीका लगाà¤à¤‚।
-मंदिर में पहले माता को जल चढ़ाकर रोली और हलà¥à¤¦à¥€ का टीका करें।
-माता को मेहंदी, मोली और वसà¥à¤¤à¥à¤° अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करें।
-आटे के दीपक को बिना जलाठमाता को अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करें।
-अंत में वापस जल चà¥à¤¾à¤à¤‚ और थोड़ा जल बचाकर उसे घर के सà¤à¥€ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को आंखों पर लगाने को दें। बाकी बचा हà¥à¤† जल घर के हर हिसà¥à¤¸à¥‡ में छिड़क दें।
-इसके बाद होलिका दहन वाली जगह पर à¤à¥€ जाकर पूजा करें। वहां थोड़ा जल और पूजन सामगà¥à¤°à¥€ चढ़ाà¤à¤‚।
-घर आने के बाद पानी रखने की जगह पर पूजा करें।
-अगर पूजन सामगà¥à¤°à¥€ बच जाठतो गाय या बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ को दे दें।